Sunday, June 18, 2006

मै कश्ती मे होके सवार सम्न्दर से लढना जानता हू
लेहरो को चीर कर मन्ज़िल के तरफ़ बढना जानता हू
बेहती हवाओ की खुशबू भी देगी गवाही इस बात की
मै अपनी बाजु मे बेहते लहू कि ताकत को मानता हू

Comments: Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]





<< Home

This page is powered by Blogger. Isn't yours?

Subscribe to Posts [Atom]