Thursday, July 12, 2007

रिश्ते…b


Sunday, September 24, 2006

एक दिन यमराज आए मेरे सपनों मे
ठंडी आवाज मे बोले, चल बहुत रह लिया अपनो मे

पाया क्या है तूने यहॉ, जो खो जाएगा
जागेगा ना कोई तेरी याद मे, सारा जहां सो जाएगा

ना था तेरा कोई, ना तू किसिका अपना था
समझ बैठा जिसे तू सच, वो तो खैर एक सपना था

यहॉ तो सब कुछ दिखावा होता है
बांटता है ना कोई दुख, ना कोई किसि के लिये रोता है

अपने हो जाते है पराए एक पल में
आज तू हक़िक़त है, समा जाएगा तेरा नाम भी कल मे

ना रहेगा निशान, जहां तू कभी मौजूद था
मानो जैसे तेरी ना कोई हस्ती थी, ना ही कोई वजूद था

अब तेरी कोई वजह नही यहां रहने की
चल छोड सब को, तेरी सरहद आ गई गम सहने की

हर सांस महक जाती है मेरी
जब होता हूं तेरी बज्म मे
समाया है बस तू ही तू
मेरे हर शेर हर नज्म मे
बज्म (Bajm): Company

रोका है इन जसबातों को बहने से
ये हम से और नही रोके जाते
समाने दो इन्हें अपनी आहोश मे
आवारा पैर और नही देखे जाते

खोया हूं तुम्हारे खयालो मे
जमाने का कोई होश नही
ना समझो मुझे तुम दीवाना
इतना भी मै मदहोश नही

चला तेरा जादू कुछ ऐसा
धडकन मेरी खामोश नही
नजरें बन गई अब तेरी
मुझमें इनका आघोश नही

Monday, September 18, 2006

ज़िन्दगी की भाग दौड मे
हर पल यों गुजर रहा है
‘मरने से पहले तू जी ले’
किसने ये क्या खूब कहा है

हंसीन लम्हें है कुछ थोडे
कितना दुख तूने सहा है
साथ चलेंगे साथ रहेंगे
मै वही हूं तू जहां जहां है

कोई चाहेगा क्या किस को
जितना मैने तुम्हें चाहा है
दयार जो मिरा का मंदिर मे
तेरी जगह दिल मे वहां है
[दयार (Dayar): Place]

Thursday, September 14, 2006

वक़्त का मुझे कोई होश नही
जिस्म मे मेरे कोई जोश नही
तरसाते हो तुम तनहाई मे
और कहते हो ‘मेरा कोई दोष नही’

एक अंजाना सा आघोश कही
तो हलका सा सरगोश कही
सुनाई आती है आवाज तेरी
चुप रहो या रहो दूर खामोश कही

जमाने का मुझ पे रोष सही
पहचान मेरी फरामोश सही
हो जिम्मेदार तुम ही मेरे
खुद को मान लो चाहे निर्दोश सही
Aaghosh (आघोश): Embrace
Sargosh (सरगोश): whisper
Zimmedaar (जिम्मेदार): Responsible

ढुंडता हूं मै दर बदर
मंजर मेरे शबाब के
चुनता हूं मै बागों से
रंग नन्हें गुलाब के

चलता हूं मै दिन भर
नशे मे उस शराब के
सोता हूं मै रातों को
आस मे एक ख्वाब के
Manzar: Aspect
Shabaab: Youthfulness

जब भी उसके नाज़ुक बदन को छूता हूं
समंदर की लहरों सा महसूस करता हूं
छुई मुई सी है मानो वह मेरी जानम
एक छुवन से उसके मुरझाने से डरता हूं

फिर लौट आया हूं मै
फिर चलेगी वही मस्ती
फिर मुस्कुराएगा हर कोई
फिर हँसेंगी हस्ती हस्ती

फिर निकलेंगे गम दिलों से
फिर होगी खुशियॉ सस्ती
फिर मिलेंगे यार पुराने
फिर खिलेगी बस्ती बस्ती

Friday, August 25, 2006

फ़िर लौट आ रहा हूं मै
हर वो दिल जीत के जाउंगा
फिर लेगी सांस हर कली
जब जिन्दगी साथ मै लाउंगा

फिर बिखरेंगे वो पत्ते पत्ते
तूफान से तेज़ मै आउंगा
देना प्यार मुझे तुम इतना
चाह के भी लौट ना पाउंगा

चैन की निन्द मै सोता था
अपने ही खयालों मे मै खोता था
रातें महकने लगी भिनी भिनी
जब से तुने मेरी निन्दे छिनी
अब रात रात भर मै जागता हूं
सपनो के पीछे भागता हूं
बिना तेरे जिन्दगी अधुरी सी है
दरमियां अपने एक दूरी सी है
तुझसे मिलने की तमन्ना है
तू ही मेरा हीरा तू ही पन्ना है
लगी है तेरे मिलन कि आस
कब बुझेगी जन्मों की ये प्यास
अब तो मेरी नैया पार लगा दे
मेरी किस्मत तू ही जगा दे
तेरे सिवा और कौन है मेरा
तू ही मेरी शाम तू ही सवेरा
तेरे लिये अब है जिना मेरा
तेरे याद मै है जाम पीना मेरा
तू ही तू मेरे दिल मे बसी है
मेरी जान बस तुझमे फँसी है
कहेगा जमाना दास्तां मेरे प्यार की
हुस्न के बोझ मे कुचले एक यार की

मिल गया जो उन्हें साथी नया
आज हम से हर रूख मोड दिया
खुल के बातें करना तो दूर
गली मे हमारे आना भी छोड दिया

वादा करके तोड देना उनकी हो गई है आदत
ना जाने क्या है हालत और कैसी है शिद्दत
कर रहे है गुजारिश और हो रही है इबादत
मॉगता हूं बस तुम्हें जब हो कोई शहादत

शिद्दत:Circumstances, particulars
इबादत: worship
शहादत: a shooting or falling star


बुझ ना जाए समय के साथ ये शोला
अपने सांसो से ये आग जलाए रखना
इश्क़ तुम से है कितना आज है बताना
अपने दर पे यों नज़रें लगाए रखना


खुद को मसरूफ जता के
हम से ना यों मुंह मोड लो
ना टुटे जो रिश्ता कभी
ऐसा कोई बंधन जोड लो

सह लिया खूब आवारापन
प्यार का दामन अब ओढ लो
जमाने को ठुकरा दो और
सारे दस्तूर आज तोड लो

भुला ना पाओगी मेरा साथ तुम चाहे जितना
आउंगा याद तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे उतना
शायद बिछड के चाहत और वासिक़ होती है
यकीन ना आए तो कर के देख ये भी फितना


तुझसे प्यार का हुआ कुछ अंजाना अंजाम
मशहूर ना हो पाए पर हो गए बदनाम
बहने लगा है लहू अब तो दिल से मेरे
बहता रहे तेरी याद मे ये उम्र तमाम

दूरियाँ बढ जाए, या फासले हो दरमियान
धडकन थम जाए, चाहे होंठ हो बेजबान
दिल्लगी रहेगी शदब, इश्क़ रहेगा नौजवान
दुनिया की किसे फिक्र, जब तु है मेहरबान
शदब: fresh

इन्तजार कर रहा हूं उस रात का
जब तेरे पहलू मे मेरा सर होगा
तेरी ईनायतें है ना जाने कितनी
अब की बार ये हिसाब बराबर होगा

चौदहवी की रात जब होगी नसीब
सितारों की रोशनी का असर होगा
लगोगी हद से ज्यादा खूबसुरत
पकडे जाने का जब एक डर होगा

महलों की शान नसिब मे ना सही
सपनो से सजा सलोना घर होगा
हर दिवार कहेगी दास्तान हमारी
प्यार का गवाह हर पथ्थर होगा

Saturday, August 05, 2006

This goes with the saying:
“I always like to walk in the rain as no one can see me crying”

देख ना ले कोई मेरे बहते आँसू
ये सोच बरसात मे चलता हूं मै
गरमी भर बैठा हूं अपने भीतर
कोयले से कै ज्यादा जलता हूं मै

देखे है जो गम के मौसम इतने
छोटी सी खुशी से मचलता हूं मै
होता था जो कभी चटटान सा ठोस
आज हलकी आंच से पिघलता हूं मै

बनना चाहता था किसिका सहारा
जैसे तैसे आज सम्भलता हूं मै
चांद हँसता है मेरे सर्द चेहरे पे
सूरज से पहले अब ढलता हूं मै

रूठना तुम्हारा एक दिखावा होता था
और सताने की आशा करते थे तुम
मसरूफ होते थे मेरे कहानियों मे
मेरी हर बात पे हँसा करते थे तुम

भिगे लब मेरे सबूत है इस बात के
कभी प्यासा भी हुआ करते थे तुम
मेरी हर आह और सिसकी गवाह है
ये बदन तराशा भी करते थे तुम
मसरूफ (Masaruuf) = Get involved in

जरुरत है एक हमसफर की
ले लो हमें अपनी बाहों मे
आना है इस अन्धेरे से बहार
भटके है जो अंजान राहों मे

देखली ये दुनिया जी भर के
समाने दो गहरी निगाहों मे
थक गया हूं तपती धूप मे
सो जाने दो अपनी पनाहों मे

रहने दो मुझे सपनों की दुनिया मे
यहां सच्चाई का पता नही चलता है
मुश्किल है तेरा मिलना उस दुनिया मे
इस कडवे हक़िकत से दिल जलता है

जन्नत सी खुशियॉ है नसिब यहां
प्यार यहां दिन रात ऐसे बरसता है
दुश्मन न है कोई किसी का यहां
ना कोई है प्यासा ना कोई तरसता है

Monday, July 31, 2006

आज फिर हमें उन्होनें चुनौती दी है
आज फिर हमें उन्होनें ललकारा है
आजमाना है हमें तो आ जाओ करीब
दिल से आज हम ने दिल को पुकारा है

जख्म जो दिया तुम ने ताजा है अभी
हम ने खरोंचो से रखा इसे हरा है
इतना गहरा हुआ असर नाजुक दिल पे
चाह के भी घाव मेरा नही भरा है

देखते है उन्हें हम उस ऐतबार से
आसमां मे जैसे बस एक ही सितारा है
बसा करती थी वो कभी जन्नत मे
मेरे लिये ही उसे मिट्टी पे उतारा है

हम दीवाने है जिनके
उन्हें ये जा के बताएं कोई
ख्वाब मे सताते है जो हमें
जा के उन्हें भी सताए कोई

शर्मिंदा हुए हम काफी
दोस्तों मे अब पछताए कोई
हाल-ए-दिल जताया खूब
इश्क़ हमसे अब जताए कोई

हारे है बाजी आज तक
करम से अपने जिताए कोई
अकेले जिन्दगी जी रहे है
साथ मेरे वक़्त बिताए कोई

उनका नाम लेते डरते थे
नाम से हमारे कतराए कोई
ठोकर खाई है दर दर की
हमारा भी दर खटखटाए कोई

तकलिफ दी है दुनिया ने
दर्द ये मेरा घटाए कोई
तडपा हूं एक साथी के लिये
मेरे लिये अब झटपटाए कोई

खुशी के लम्हें थोडे है
वो चुनिंदा पल लुटाए कोई
देख ली रंगीन शामें खूब
अब ले आए काली घटा कोई

जिन शाखों पर फूल खिलते थे
उन डंगालो को किसने काटा है
दुनिया मे मचा है इतना शोर
दिल मे मेरे ये कितना सन्नाटा है

कभी दो जिस्म मगर एक जान थे
जालिम दुनिया ने हमें बांटा है
बताना चाहता हूं उन सब को
बुराई का कद सच्चाई से नाटा है


Thursday, July 27, 2006

एक बार मिट जाए ये फासले
याद रहेगी फिर मुलाकात हर
हिम्मत दिखाने का वक़्त है
होगा दिल से ये बरबाद डर

कर लो कोशिश इसे दबाने की
आएँगे और ये जसबात उभर
कर दिया है खुद को तेरे नाम
अब तू ही मुझे आबाद कर

दिल मे दर्द ना दबाएँ रख
यहॉ आ और मूझसे बात कर
सूजी आंखें कह रही है तेरी
तू भी जागी है कल रात भर

देख लिया सह के जुदाई का ये आलम
सांसों से अपने और कितना धोका करे हम
दिल से तो तेरी यादों को निकाल लेंगे
इन धडकनों को मगर कैसे रोका करे हम

मिल भी जाओ जाना कभी हक़िक़त मे
कब तक यों ख्वाबों मे तुम्हें देखा करे हम
तरस गये है जो बाहों की गरमाहट को
कब तक दिल को चिंगारी से सेका करे हम

जिंदगी बीन तेरे क्या है, दिल जानता है
नजरों के ये तीर अब किस पे फेका करे हम
याद करते हो तुम भी हमें अकेले मे
भरे महफिल मे और कितना छींका करे हम
छींकना: sneeze (physically) याद करना (logically)

तू ठुकरा दे लाख मुझे ऐ जान-ऐ-जाना
आएँगा लौट के दीवाना तेरे ही पहलू मे
चुका नही पाऊंगा एहसान तेरे इनायतों का
चाहे कितने ही दर्द क्यों ना सहलू मै

दिया है जमाने ने जो दाग बेखुदी का
तुम ही बताओ कैसे उसे धो डालु मै
बीन पिये झूमने की आदत सी हो गई है
नशे मे फिर कैसे खुद को सँभालूँ मै

आशिक़ो का जीना ना आया है दुनिया को रास कभी
हमें भी शायद मौत का फर्मान सुनवा दिया जाएगा
मर ही जाएगा हर सलिम किसी विरान गलियों मे
जब भी किसी अनारकली को जिन्दा चुनवा दिया जाएगा

Monday, July 24, 2006

धडकते दिल की जवान रफ्तार जो सुन सके
बस वही समझ सकता है आंखों की बातों को
हमदर्द बन सकता है जमाने मे बस वह ही
करवट बदल बदल कर जागा हो जो रातों को

दिल ही दिल अपनाया है तुम्हें जिस काफिर ने
तुम भी समझ कर देखो उसके जसबातों को
कर भी दो पुरी आखिरी तमन्ना आशिक़ की
रोक लेंगे खुदा कसम उन हँसी मुलाकातों को

तपती आग लोहे को बना देती है वासिक़
तनहाई रिश्तों को बना देती है गहरा
झिनत भले इंसान को बना देती है आशीक़
चाहत बना देती है जिंदगी को सुनहरा
वासिक़ : Strong झिनत: love

Thursday, July 20, 2006

पास नही रहते हो तुम जिस पल
लगता है गुजर गये कितने जमानें
दिल वही सुकून पाने के लिये फिर
तलाशता रहता है कैसे कैसे बहाने

मिलते हो जो रात की तनहाई मे
खुश हो के दिल लगता है इतरानें
अब आबाद करो या करो बरबाद
रख दिया खुद को रुख-ए-निशाने

मान भी लो बात अपने दिल की
ना जाओ इन शोलों को सुलगानें
जल जाओगे तडप की इस आग मे
देखना ना आएगा कोई फिर बचाने

नजरों से यों मिलती है नज़रें
रास्ते भी आज कल टकरातें है
हम पडे रहते है यों ही घायल
हाय ! क्या अदा से वो शर्माते है

Wednesday, July 19, 2006

कांटे भी फूल से लगने लगे है
तारे भी मेरे साथ जगने लगे है
कैसी मस्ती है छाई दिल-ओ-जान पे
प्यार के शोले यों सुलगने लगे है

होश है संभाला हम ने आज चोट से उभर के
सीख ही लिया जीना बिना किसी हमसफर के
नये अझमत से चल रहे है अब उन गलियों मे
जिन मे कभी घुमा करते थे हम डर डर के
अझमत: Dignity

Monday, July 17, 2006

मनाया हम ने इस दिल को, मगर
इन धडकनों से मजबूर हो गये
निन्दें हमारी हो गई दुशवार
तेरे खयालो मे चूर हो गये

साथ जो मिल गया तुम्हारा
सारे गमों से हम दूर हो गये
तेरे चर्चे तो लाखों मे थे ही
हम भी अब मशहूर हो गये

दिल ये तुम्हारा हँसाता है कभी और कभी रोता है क्या ?
सुनहरे रात मे जागता और भरे दिन मे ये सोता है क्या ?
तनहाई मे आह भरता है और महफिल मे खोता है क्या ?
ये प्यार ही है जानम, अब आगे आगे देखो होता है क्या !

Saturday, July 15, 2006

नयी है ये दोस्ती, नया है ये हमसफर
नया है ये जसबा और नयी है ये डगर
किस अनजाने मोड पे मिल जाए कोई
किसी को क्या पता, किसी को क्या खबर

दिल की बात ना सुन ऐ मेरे हमसफर
दिमाग को फिर शायद पछताना पड़ेंगा
ये तो भाग जाएगा दो नैना मिला के
हाल-ए-दिल जबान को ही जताना पड़ेंगा

मजा आने लगेंगा इतना इस बिमारी मे
पागलपन मे खुद को सताना पड़ेंगा
गर लग जाए बेवफाई का एक दाग
खून के कतरे से उसे हटाना पड़ेंगा

मिले थे हसिन लम्हे जितने मुलाकात के
किश्तों किश्तों मे उन्हें लौटाना पड़ेंगा
लूट जाओगे मुहब्बत के चक्कर मे, फिर
किस्मत के दरवाजों को खटखटाना पड़ेंगा

बुलाया करेंगे कई लोग दीवाना तुम्हें
हर गली से रोज एक नया ताना पड़ेंगा
इतना सताएगा ये जमाना तुम्हें, के
अकेले मे भी फिर झटपटाना पड़ेंगा

खुशी मेरे दिल की महसूस करना है अगर
आना होगा तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे मेरे
तुम्हारे ही आने से आई है जिन्दगी मे बहार
खोया रहता हूं अब मै बस सवालों मे मेरे

दिल ये चाहे, के सारे दुनिया से दूर जा के
अब जिन्दगी की राहगुजर हो महलों मे तेरे
आखिर क्या है जीना अब समझ मे है आया
जन्नत की खुशियॉ जो है पाई पहलू मे तेरे

Tuesday, July 11, 2006

चोट खा ली पहले ही मुहब्बत मे इतनी
के, जुर्रत नही ये खता करने की दोबारा
जान ली एक पल मे हम ने हैसियत अपनी
लगा सदमा दिल को कुछ ऐसा करारा

जन्नत की खुशियॉ तो नही मांगी थी
मांगा था हम ने बस एक साथ तुम्हारा
अपने ही मुकद्दर को कोस रहे है अब
बिना लकीरों के बन गया नसीब हमारा

लढते थे नैन जिससे कभी महफिल मे
तरस गये है पाने को उसका एक इशारा
पिलाया था कभी जिसने जाम अपनी आखों से
उस जालिम ने ही आज ये नशा है उतारा

बैठे रहे उसकी याद मे एक आस लिये
ना आए पास हमारे, ना ही हमे पुकारा
हालत बना गए कुछ ऐसी इस आशिक की
कहने लगी है दुनिया इसे अब बेचारा

हुआ करती थी कभी रातें जिसकी जवां
आज फैला है दिन मे भी कैसा अंधियारा
चलते थे जो कभी हमराह बनके हम
आज मिलता हुं मै उन गलियों मे मारा मारा

हम जीना चाहते है बनके जिनका हमसफर
आज कल करते वो बाते खुद-खुशी करने की
लाख उठाए सवाल ये दुनिया हमारे रिश्ते पे
साथ होगे हम मगर, बात नही ये डरने की

वक़्त आ गया है अब कुछ कर दिखाने का
घडी नहि है ये जानम ठंडी आहें भरने की
होगा ना मुझसे बुरा कोई, समझ लो आज
फिर सुनी बात अगर मारने और मरने की

हम ही से शरमाना और हम ही से परदा
हम ही से घबराना, हम ही से शिकायत
ये सब है निशानियाँ प्यार के इकरार की
आप ही का शुक्रिया, आप ही की इनायत

हम ही से ईतराना, हम ही से दिल्लगी
हम ही से बिछडना, हम ही से हिदायत
सम्भाल सको तो कोशिश कर के देख लो
प्यार ही है ईबादत, प्यार ही है निहायत

किसी की याद मे ये दिल जब बेकरार होता है
इन्तजार का हर लम्हा जब मजेदार होता है
दिल तो वैसे भी धडकता है जीने के खातिर
मरने को जब वो तडपे, तब ही प्यार होता है

रंगीन सपनों से बाहार आओ
सामना करो तुम हकिकत से
आज मे जीना सीख लो यार
ख्वाब देखना कभी फुरसत से

ढलते सूरज की पनाह मे चिराग जलाया उसने
डूबते माज़ी को तिनके के सहारे बुलाया उसने
हम तो कब के भूल गये थे उनके घर का पता
हमारे ही गली मे आ के हमें फिर रुलाया उसने

लहू लोहान करने के इरादे था तीर चलाया उसने
अपने हुस्न का जहर मेरे ज़िस्म मे फैलाया उसने
छोड चुके थे उम्मीद उनको हमसफर बनाने की
बेवफाई का इलज़ाम दे के कब्र मे है सुलाया उसने

बंजर गुलिस्तां मे एहसास का बीज बोया उसने
परवरिश से एक बाग़बान का फ़र्ज़ निभाया उसने
हम तरसते रहे उनका एक करम पाने के इरादे
पहले मुलाकात मे ही कर दिया हमें पराया उसने

दूर से ही देख के अंजाने मे हमें अपनाया उसने
हुस्न के शोले से सख्त बरफ को पिघलाया उसने
हम खोए ही रह गये दिन रात उनके खयालों मे
जाने किस घडी मे हम से उठा लिया साया उसने

सोए अरमानों को एक ही इशारे से जगाया उसने
गर्द पडे रूह को चाहत के दीदार मे नहलाया उसने
फिर जरूर बरसेगा वो प्यार, फिर आएगी वो बहार
यहीं कहके फिर आज मेरे दिल को मनाया उसने

सुलझे हुए शक्स को जाल मे अपने उलझाया उसने
जाम पिला पिला के है बेहोशी तक बहकाया उसने
जो डूब गया था कभी उनकी बाहों की आहोश मे
एक बून्द पानी के लिये है आज उसे तरसाया उसने

मेरे खामोश चलती जिन्दगी मे तूफान लाया उसने
ना जाने जन्नत के किस खुशी को है पाया उसने
हम ने तो जीना सीख लिया अब अपनी तनहाई मे
नही जानती वो मगर, आज किसे है खोया उसने

रूदाद ये मेरे दिल की लब्जों मे होगी ना कभी बयां
हिज्र की उन लम्बी रातों का कही ना होगा कोई निशां
तेरे महफिल से निकले थे हम ना-उम्मीद हो के कभी
फिक्र करनी है हमें बस महशर की, भूल के सारा जहां
रूदाद: story
हिज्र: separation
महशर: day of judgment

Wednesday, July 05, 2006

अकेली रातें तेरी याद मे मर मिटने को बेकरार है
दिन भी तेरी उम्मीद मे गुजर जाने को तैयार है
ऐसी प्यास लगी है जालिम, दिल मे तेरे चाहत की
मिटेगी तेरे आने से, जो बरसात को भी दुशवार है

इस दुनिया की भरी महफिल मे, दिलवाले हजार है
तनहाई मे हर शक्स, लेकिन आज यहां बेजार है
मिलता नही है मुकम्मल हमसफर सभी को यहां
बस कहने के लिये ही ये दिलवालों का बाजार है

हँसी पे मत जाओ, मेरे घावों मे अब भी उभार है
ये हंसना तो बस, दर्द छिपाने का एक औजार है
दफन हो जाउंगा यों ही एक दिन, तो लोग कहेंगे
देख लो, एक और मस्तानें आशिक़ ये माजार है

Monday, July 03, 2006

टूट गया कब बन्धन दिल का--छूट चूकी उन रिश्तों की डोरी
इश्क़ ये मेरा फिर भी जिन्दा है-- प्यार की शाखें बाकी है थोडी
दिल मे उनके, घर बसाने का--सपना दिल ने पाला था कभी
आस लगाए बैठे है अब भी--उम्मीद ये हम ने नही है छोडी

पहले नजर का प्यार भुला के--भूल गई जालिम वो सीना-जोरी
साथ पे जिन के नाज़ था हमें--गांठ बन्धन की वही है तोडी
दिल ये अब उदास सा रहता है--रह रह के दुख ये सहता है
चलते थे जो कभी हाथ पकड--
राह उन्होनें आज अपनी है मोडी

हंसीनाएं लाख दिखाए चाहे जलवें
उन्हें देखने का हमें कोई शौक नही
फूलों की खुशबू नही हम मे, मगर
काटों को मुरझाने का खौफ नही

Friday, June 30, 2006

कभी जो बुलाया करते थे हमें अपना
आज कल बदलने लगे है उनके तेवर
बेशर्म हो के मिलते है वो दुश्मनों से
बेरहमी का पहना है ये कोई नया जेवर

होने लगा है जिक्र गली-गली और कूँचे मे
कबूल किया जो आप ने नजरना हमारा
बनाया है आशिक़ तुम ने, कहना है सब का
क्या करे जब, अन्दाज है शायराना हमारा

Thursday, June 29, 2006

बाते तुमसे होती ही है रोज मगर
मिलने का ईत्मिनान उसमें कहा
देखना है तुम्हें अब आंखें भर के
जुदाई का दर्द मैने काफी है सहा

उठा है धुआं जब, लगी है जरूर कहीं तो आग
दामन जो छुपा रहे हो, लगा है कहीं कोई दाग
अब तो बढ चुका है ये दर्द-ए-दिल हद से आगे
तडप ही है किस्मत शायद, तडपना ही है भाग

Tuesday, June 27, 2006

पीना मेरा कोई शौक नही, पीना मेरी मजबूरी है
तुम दिल के पास हो, फिर भी कितनी दूरी है
समझौता ही है ये, सच्चाई से दूर भागना नही
जान लो बस इतना, जिन्दगी तुम बीन अधूरी है

जानता हूं पर मानता नही, आदत ये बडी बुरी है
मेरा नशे मे रहना, गम भुलाने के लिये जरूरी है
कयामत से पहले ना सही, जन्नत मे मिलेंगे जरूर
इमान ना समझो इसे यारो, ये हमारी मगरूरी है

Friday, June 23, 2006

बन्द दरवाजे मे पी या पी तू मयखाने मे
पी मगर ऐसी जगह जहां ना हो कोई शोर
यहॉ खुशी मे तो पी लेते है सभी, मगर
गम मे पीने का है यार मजा ही कुछ और

आना तेरा जिन्दगी मे जैसे एक हादसा था
मर भी ना पाए, सँभल भी ना पाए हम
शुक्रिया अदा करे कब उस बनाने वाले का
अभी तक तो भर ही रहें है बस आहें हम

Thursday, June 22, 2006

दिल से निकली हर सदा बढ रही है तुम्हारे और
सांसों मे मची है हलचल, मचा है नया शोर
खुद को तो रोक लूँ धडकनों को कैसे रोकू मगर
चाहत है ये कुछ नई, तनहाई का है नया दौर

Wednesday, June 21, 2006

लिखता हूं मै जो, होता है वो तुम्हारा ही कलाम
धडकनों की आहट भी करती है तुमको सलाम
सीने मे चलती सांस लेती है बस तुम्हारा ही नाम
एक ही चाहत है अब
इन बाहों कि पनाह मे कट जाए मेरी उम्र तमाम

Tuesday, June 20, 2006

आसमान मे बादल यों मँडराते रहे
पैरों के नीचे पनघट यों चलती रहे
सांस लेती रहे भिनी खुशबू बांहों मे
धीमी सी चिलमन भी यों ही जलती रहे

तुम छुपा रही हो कोई राज इस दिल मे
या फिर छुपा रही हो मुझसे कोई गम
अगर कहती हो कही कोई बात नही, तो
आंखें ये तुम्हारी इतनी क्यों है नम ?

आते है याद मुझे वो लम्हे पहली मुलाकात के
सितारे जब होते थे पहलू मे खामोश रात के
कहा करती थी दिल लगाना तुम्हारा काम नही
फिर जाने कैसे बने ये रिश्ते बिना जसबात के

बातों मे कशिश, आंखों मे सच्चाई
कत्ल कर चली गई उसकी एक अंगडाई
इतना ना प्यार करो कहता था उसे
किस तरह सहूँगा बताओ अब ये जुदाई

हर बार बिछडने की बात क्यों करते हो
हम वो है जो यारी दोस्ती भुलाते नही
आपकी शरारतों से मजा आता है जरूर
हम अपनी हरकतों से मगर रूलाते नही

धडकता था जो, ना जाने कहा वो गया है
क्या जानु मै, ये जागा है या सो गया है
है ये अपनी ही जगह, या कही खो गया है
अगर यहीं प्यार है, तो हां हमें हो गया है

तूफानों से होता है सामना
तूफानों से नही होती गुजारीश
हर कदम पे रास्ता रोकेगा ये
पुरानी है ज़माने मे ये रंजीष

हां, रोया हू मैं आज जी भर के
ज़हन मे जो उनकी याद आई
आती थी ख्वाबो मे रोज कभी
आज वो बडी मुद्दतो बाद आई

आंखों मे मेरे गम है कितना, नज़रें मिला के देखलो
धडकनो मे दर्द है कितना, महसूस कर के देखलो

चाहतो मे दम है कितना, कभी दिल लगा कर के देखलो
सुखा पडा है सीने मे कितना, भीगे बदन से देखलो

मिलने मे आखिर क्या मजा है, कभी बिछड के देखलो
हक़िकत मे कुछ नही है ज़ानम, सपने सजा के देखलो

यादों मे सुरूर है कितना, कभी याद कर के देखलो
गर ना आए निन्द तुमको तो, करवट बदल के देखलो

आंखों मे लगे काजल को फैलना चाहता हूं
उनके सुलझे लटों को उलझाना चाहता हूं
आंचल सीने से ढलने की तमन्ना है बस
दिल मे लगी आग सांसों से बुझाना चाहता हूं

औरों की तरह जिन्दगी जीने वालों मे से हम नही
दीवानों की भिड मे गुम होने वालों मे से हम नही
थाम लेगा हाथ जरूर कोई राह चलता मुसाफिर
जहां मे ईस मस्ताने आशिक़ के दीवाने कम नही

तनहाई की तडप हो या हो बे-खुदी का आलम
याद आते होंगे तुमको हम दिन के उजालों मे भी
भूला ना पाओगी जिन्दगी के वो मुकम्मल लम्हें
भूल ही जाओ गर मुकाम और पडाव बाकी सभी

लोग यहॉ जहर पी पी के मरते है
हमें उन्होनें जाम पिला पिला के मारा
हम गये थे जीतने की तमन्ना लिये
आंखों मे उनकी खुद को बैठ हारा

गर सुनाईं देती धडकनो की सदा, बांसुरी ना सुनता कोई
गर दिखाई देते खुली आंखों के सपने, नजारें ना देखता कोई
महसूस होती गर सासों की सिलवटें, मलमल ना जानता कोई
ना होते गर तुम साथ हमारे,
कहा पातें हम ये लट बिखरे बिखरे और ये नयन कजरारे

दिलवालों की महफील मे हुस्न और इश्क़ की हवा रहेगी
जमानें गुजर जाएगे, मगर मुहब्बत ये जवान रहेंगी
दिल मे जतन किये रखे है इस अनमोल रतन की चमक
सच्चे दिल से मांगी हर मन्नत पे उसकी दुआ रहेगी

रास्ते बढेंगे मंजिलों की तरफ
कारवाँ ये यों ही चलता रहेगा
उभर आना है तुम्हें हर मुकाम पे
सूरज तो फिर भी ढलता रहेगा

तुझे मेरी जरूरत है, तू हां कहे या ना कहे
मेरे बीन तू अकेली है, तू हां कहे या ना कहे
दुनिया से सही मगर खुद से क्या झूठ कहना
तेरे बीन मैं भी कुछ नही, तू हां कहे या ना कहे

कामयाबी मे तुम्हारे खुशी है हमारी
नाकामयाबी मे भी पर शरीक हम होंगे
सम्भाले रखना हमारे दोस्ती का नजराना
ऐसे रूमानी दोस्त दुनिया मे कम होंगे

निगाहों को अपनी पलकों से छिपाएँ रखना
इन कातिल निगाहों से हमें खतरा लगता है
रात - दिन कैसे गुजरते है पता नही चलता
बज़्म मे तेरी कई पल, बस एक कतरा लगता है

खो के पाना प्यार नही, ये तो समझौता है
बातें करता है जो ऐसी, वही प्यार को खोता है
करना है प्यार तो उम्मीद के साथ करो यारो
जिन्दगी मे ये कमबख्त बार बार नही होता है

This is not mine but I like its simplicity
जो शाम ढली फिर काली रात आई
जो दिल धडका फिर तेरी याद आई
आंखों ने महसूस किया उस हवा को
जो छू कर तुझे मेरे पास आई

जबसे वो हमारे दिल मे बसने लगे है
दोस्त हमारे इस हालत पे हंसने लगे है
ऐसी छाइ खुमारी नाचीज की इस दिल पे
उनके एक दिदार को हम तरसने लगे है

इस दिल की हालत को हम क्या कहे
कोई पागल कहे तो कोई दीवाना कहे
कोई इलाज नही इस बीमारी का दुनिया मे
जिन्दा है तब तक ये योहीं दर्द सहे

उनकी याद आती है आज कल कुछ ज्यादा
आंखें रहती है नम आज कल कुछ ज्यादा
आस लगाए बैठे है ईस उम्मीद मे, के
हमारी राह देखने का निभाएंगे वो वादा

दिदार तो दूर हम महसूस भी नही पाते है
क्या वो सुन पाएगी दिल से निकली हुई सदा
अगर निभाना चाहता है दोस्ती ऐ मेरे दोस्त
तो कर दे दोनो के बीच के दूरियों को आधा

वो हमारी नज़म हम से ज्यादा याद कर रहे है
उन्हें क्या पता हम यहा जित-ए-जी मर रहे है
खत्म हो जाए ये लम्बा सफ़र इस परदेस मे जल्दी
दिन रात रह रह के हम यहीं दुआ कर रहे है

दिन कटता है ऐसे, जैसे एहसान उतरता है कोइ
शाम को घर जाके आइना देखुं तो लगता है
इस अनजान से शहर मे
हमें भी जानता है कोई

हमें देख के उनका चेहरा खिल जाता है
पास आके हमारे उनका बदन हिल जाता है
कोई उन्हें ये बताए के दूर ना जाए हमसे
वो अकेली नही जाती साथ हमारा दिल जाता है

नशा उनके होंठों का किसी शराब मे कहा
गहराई उनके आंखों की बादलों मे कहा
देखो यारों उनको कभी मेरी नजर से
पता चलेगा तुम्हें, मै खोया रहता हूं कहा

उनके आने से ज़िंदगी मे रौनक आ जाए
मेरे उजडे गुलिस्तां मे महक सी छा जाए
कोई उनको बताए, वो हमारे लिये क्या है
उनके बिना क्या जीना, अच्छा है मौत आ जाए

इश्क़ है भगवान इश्क़ हि है बन्दगी
एक पल का पागलपन, एक पल की दीवानगी
ये बस काम है उन जिन्दा मुर्दो का
बिना इश्क़ के जहन्नूम है ज़िंदगी

वाकया कुछ ऐसा था के हम दिल दे बैठे
हालत कुछ यों थे के हम प्यार कर बैठे
तुम्हारा आना ज़िंदगी मे एक तूफान था
पहले नजर मे ही आपको यार कर बैठे

भावनाओं को अपने, काबू मे रखना सिखो
इतना मचलने दोगे उसे तो मुश्किल मे आओगे
वह तो एक मतवाली और चंचल हंसीना है
वही दिल मे बस गई तो फिर कहा जाओगे

शराब मे दिखता है चेहरा तुम्हारा
क्या ये नशा इस मतभरे जाम क है,
दिल कहता है सम्भल जा ऐ दीवाने
ये नशा तो उस साकी के नाम का है!

बिछडे है आज तक कई दोस्त मेरे
उम्मीद है तुम तो साथ निभाओगी
निकलेगी इस दिल से जबभी कोई आह
तुम बिना बुलाए पास चली आओगी

सांसे मेरी कुछ थम सी गई है
धडकनो पे भी लग गया है ताला
दबाए रखा था जो दर्द ईस दिल मे
उमड कर आ रहा है बनके ज्वाला

तुम्हें देखके यों हो गई है ये हालत
के अब खुद पे आने लगा है तरस
बूंद बूंद को ना तरसा मुझको साजन
सावन की बिजली बन के यों ना बरस

Sunday, June 18, 2006

मेरा पागलपन तुम्हारे हुस्न की देन है
जो भले भलों के उडा सकती है होश
हमें कोई शिकवा नही तुम्हारे इरादों पे
इस खूबसूरती मे आखिर तुम्हारा क्या दोष

जाने-जाना इतने भी बेरहम ना बनो
की हमें हिचकियां आना बन्द हो जाए
याद हमे थोडा दिल से किया करो
जाने माशूक की कब मौत आ जाए

आपका दीदार ना हुआ तो कोई बात नही
ख्वाबो मे आपका आना ये क्या कम है
छोटी छोटी बातों से क्या रूठना यारो
हमारे जिन्दगी और भी कइ गम है

ऐसे ना छुआ करो, बिजली सी दौडती है
देखा ना करो ऐसे, दर्द सा लगता है
सुनाया ना करो अपनी मतभरी आवाज
इतने करीब ना आओ, प्यार हो सकता है

मुस्कुराना तुम्हारा होंठों पे सजा के लाया हूं
चेहरा तुम्हारा आंखों मे छुपा के लाया हूं
तुम मेरी हो, तुम्हें बस ये बता नही पाया हूं
तुम लाख इन्कार करो, मै तो तुम्हारा साया हूं

कभी जिन्दगी के पन्नों को उलट के देखना
आपको एक शक्स जरूर दिल से याद आएगा
भूल जाओगे तुम जमाने के दिये सारे गम
जब हमारा साथ गुजारा एक एक पल आएगा

बस अब हमें और कुछ और नही चाहिये
हमारे पास खुद आ बैठी है जन्नत
खुदा दिलदार है कितना, चला है पता आज
मिले है वो हमें बिना मांगे मन्नत

क्यों हर बार उभर आते है वो बिते पल
जिन्हे हादसा समझ कर चहता है भुलाना
गुजारीश है उस जालिम से तह-ए-दिल से
छोड दो अब मुद्दत के बाद यों रुलाना

उनके बारे मे हम सोचने लगे है
खुशियॉ के पल दबोचने लगे है
अपनोसे जरा हम बचने लगे है
दीवानगी मे शेर रचने लगे है

उस दिन से रातों की नींद उड गई है
जबसे कर बैठे है हम इजहार-ए-दिल
ऐ जालिम दिन मे मुश्किल है मिलना
तू कभी ख्वाबों मे आँके मिल

साया अपना वजुद लेकर नही घूमता
वो तो परछाई होती है किसी शक्स की
उसका भी अपना एक कीरदार होता है, पर
कोई नही समझता भावना उस अक्स की

देखके उसको लगा, आई जन्नत की परी
ना जाने छा गई दिलपे, कैसी जादूगरी
रहती है वो सेहमी सी, और कुछ डरी
वही है मेरा कलाम, और मेरी शायरी

वो जालिम बस गया है दिल मे कुछ ऐसे, के
हम सांस भी नही लेते, और मरते भी नही
बदनाम हो गए है उनके प्यार मे इतने, के
अब गली-कूँचो से गुज़रने से भी डरते है

कहते है, ये प्यार घना जंगल है
तो कोई कहे, ये आग का दरिया है
हम कहते है, जन्नत ही जन्नत है
बस देखने का अपना अलग नजरीया है

जिसके आने की तमन्ना करते थे हम
वो परी परदे से निकल सामने आई है
अब मत हिचकिचाओ नजर मिलाने से
हूर-ए-जन्नत जो हाथ थामने आई है

धडकनों मे उनकी, आज मै घुल जाना चाहता हूं
सांसों की गहराइ मे खुद को भूल चाहता हूं
आंखों की सच्चाई मे, पापो से धूल जाना चाहता हूं
सब गम भूला कर, खुशियों से फूल चाहता हूं

दिन किसी तरह से कट जाता है, रातें मगर कांटे कटती नही
क्या जाने चलता रहता है इस दिल-ओ-दिमाग मे किस का खयाल
बदलते है करवटे बिस्तर पे पडे पडे तेरी याद मे, की
चादर परेशान हो कर, अब पूछने लगी है मुझसे सवाल

जो कर गुजरे है मुहब्बत मे हम
बेगुनाह खुदको कह नही सकता
दिया है दिल का ऐसा हँसी दर्द तुमने
इस दर्द बिना जिन्दा रह नही सकता

उम्मीदो के गुलिस्तां मे, खुशहाली का चिराग लिये घुम रहे है
उनकी एक झलक की तमन्ना मे, दिदार के ख्वाब चूम रहे है
नही पता था हमें, जुदाइ के बाद आएगी जालिम की इतनी याद
साकी ना आई प्यास बुझाने तो, होंठों पे शराब लिये झूम रहे है

मुकद्दर से मिले थे हम इन गलियों मे
मुकद्दर से ही लढी थी आंखें दो अनजान
मुकद्दर ही मिलाएगा फिर दो दिलों को
मुकद्दर ही वरना लेगा दोनो की जान

अब तक तेरी याद मे आंखें रो रही थी
फिलहाल दिल भी घुट घुट के रो रहा है
तडप इस दिल की तुमसे बेहतर कौन जाने
जो हर पल पुरानी यादे संजो रहा है

तुम बस एक पल साथ निभाने की बात करते हो
हम तो सारी जिन्दगी साथ निभाना सोच रहे थे
लगेंगा तुम को भी कुछ ऐसा, याद करोगे जब
किस तरह रसीले होंठों को तुम दबोच रहे थे

किसी की चाहत पे जीने वाले तुम न थे
और किसी पे मर मिटने वाले तुम न थे
आदत सी पड जाएगी तुम्हें याद करने की
वरना किसी को याद करने वाले तुम न थे

आँती है तडप मेरे दिल के तैखाने से
जब बिना उम्मीद आता है उनका होई पैगाम
मिलते नही वो, तो याद ही कर लेते है
सोच के, कि होगा जुदाई का हंसीन अंजाम

कल जब हुइ मेरि बात तुम से, तो लगा
जरूर छुपा रही हो, दिल मे कोइ दर्द
बताओगी तो, होग कुछ कम एहसास
आंखें मेरी भी होगी जब साथ मे सर्द

आइ तुम तूफ़ान की तरह, मेरी रुकी हुइ जिन्दगी मे
किया प्यार तुमने मुझे और मैने तुम्हे रात दिन
शायद भुल जाओगी तुम जिन्दगी की बाकी सारी रातें
पर नहिं भुला पाओगी साथ बिताए हुए वो सात दिन

ये शेर दिल कि बातों का नजराना होते है
जो हाल-ए-दिल लब्जों मे बयान करते है
लिख लेते है हम कुछ, जज़बात मे बेहके
जब लोग मेरे शेरों पे वाह वाह करते है

दिल ये मेरा किया है तुम्हारे हवाले
इसे सम्भाल के रखना ऐ मेरे हुजूर
चाहेंगे तुम्हें इस कदर जान-ए-जाना
हश्र फ़ीर जो भी हो हमें होगा मन्जूर

याद करो तो ऐसे करो, की यार आने पे मजबूर हो जाए
प्यार करो तो ऐसे करो, की यार जताने पे मजबूर हो जाए
लिखो तो ऐसे लिखो, हर शब्द गाने पे मजबूर हो जाए
और रूठो तो ऐसे रूठो, यार मनाने पे मजबूर हो जाए

आती नही आंखों मे निन्द, तुम्हारा नाम लिये बिना
होता नही दिन, बिना तेरे खयाल के, इस दीवाने का
अब जीना मरना मेरा, बस तेरे खातिर है, क्यूंकी
होता नही कोइ वजूद, शमा बिना किसी परवाने का

आज कुछ शेर-ओ-शायरी नही आ रही है जहन में
सोचता हु, हाल-ए-दिल ही बयान कर दिया जाए
है खूबसूरत, जो बस गई है दिल की डोली मे
जिसके बिना अब, ना मरा जाए और ना जिया जाए

कौन कहता है दिल जो प्यार करे वो दिवाना नही होता
रात रात जाग किसिका इन्तजार करे वो दीवाना नही होता
इस जहां मे इन्सानियत के और भी कइ उसूल है, मगर
प्यार का जसबा ना होता, तो शायद ये जमाना नही होता

रिश्तों कि बात छेडी है, तो ये भी सुन लो
हम रिश्तों को भुलाने वालों मे से नही
हमारे प्यार का दामन छुडा ना पाओगे
फिर लौट कर तुम्हें वापस आना है यहीं

नही आएगी उनकी याद, ये दिल क वहम है
उनकी याद में आज कल तबीयत कुछ नम है
भुलाना उनको मुश्किल ही नही नामुमकिन है
दिल से करते है याद उन्हें, ये क्या कम है

प्यार की चाहत में कइ लोग पुराने दोस्त भूल जाते है
मुहब्बत के मचधार मे पुराने साहिल भूल जाते है
हम मगर याद रखेंगे हर वो मदहोशी भरी रातें
वो छलकते जाम, दहकते अंगारें और वो बेहकती बातें

याद आती है अब उनकी दिन की रुसवाइयों में
और आती है उनकी याद रात कि तनहाइयों में
आंखें बन्द कर देख लेता हूं वो हसीन चेहरा
तसवीर जो छुपा रखी है दिल कि गहराइयों में

सातों आसमान या सातों समन्दर खोज के देखलो
टिमटिमाते तारे और चमकते मोतियों से पुछलो
एक हि जवाब मिलेगा जब चलेगी बात उस दिलबर की
फ़िर मेरे हुस्न की मलिका कि वाह वाह होते देखलो

अमावस की काली है निगाहों मे मेरे यार की
गुलाबों की लाली है होंठों मे मेरे यार की

जुगनू की चमक है आंखों मे मेरे यार की
कस्तूरी की महक है बांहों मे मेरे यार की

रेशम की कोमलता है बालों मे मेरे यार की
अब्र की मलमलता है गालों मे मेरे यार की

कोयल की मिठास है बातों मे मेरे यार की
मिलने की प्यास है रातों मे मेरे यार की

लैला मजनु की तरह क्या प्यार करना
प्यार करना है तो करो जरा इमान से
जमाने को दिखाके क्या खाक करोगे
जब हाथ धो बैठोगे दिल-ओ-जान से

मै कश्ती मे होके सवार सम्न्दर से लढना जानता हू
लेहरो को चीर कर मन्ज़िल के तरफ़ बढना जानता हू
बेहती हवाओ की खुशबू भी देगी गवाही इस बात की
मै अपनी बाजु मे बेहते लहू कि ताकत को मानता हू

दूर आसमां के उस पार कोइ जाहां जरूर होगा
जिसे दिल ढुंड राहा है क्या जाने वो काहा होगा
मेरे चेहरे की मुस्कुराहट पे मत जाओ यारो
शायद ही दुनिया मे इतना दर्द किसिने सहा होगा

साथ गुजारे पल याद कर हस लेना
पर कभी मेरी याद आये तो रोना नही
लम्हे तो खैर आते और जाते रहेंगे
उन पलो की याद को मगर खोना नही

आज देखली हमने दोस्तो की दोस्ती
और देखली दुनिया की दुनीयादारी
उतर गया नशा गलत वहमी का
उड गयी एक पल मे सारी खुमारी

दुनिया की इस भरी महफ़िल मे
सोचते थे अकेले तो नही है हम
पता चला बस एक वही है हमसफ़र
जिसे केहता हु मै “मेरि शायरी”

लिखे थे जो शेर तेरी याद मे, खुद वही मुझसे पुछ बैठे आज
रोज लिखते हो आज कया हो गया, न कोइ नज़्म न कोइ साज़
मै बोला, दिल मे मेरे अब न कोइ तडप, न जलन, न कोइ राज
जुदा हुए वो

जिनके लिये होते थे कागज़ निले, प्यार पे जिनके था हमे नाज

जाम गर झुटा हो, तो होता है नशा और भी
साकी के होंठों की मिठास उसमे मिलती है
अकेले जलना भी क्या जलना, मज़ा तो तब है

जब शम्मा भी परवाने के साथ जलती है

ज़िन्दगी इम्तिहान का दूसरा नाम है
कभी हार कभी जीत इसके दो रंग है
ज़िन्दगी से गीला शिकवा क्या करना
तुझ जैसा दोस्त हर घडी अगर संग है

तपते दिन के बाद सुनहरी रात जरूर होगी
चान्द सितारो के साथ तुम्हरी बात जरूर होगी
कभी दिल की आवाज से पुकारो तुम किसी दोस्त को
अपने दोस्ती की कसम, फ़िर मुलाकात जरूर होगी

गुजारते है दिन याद करके वो नूरानी रातें
संजोते है वो घड़िया और वो पुरानी बातें
मेरे इन्तजार का हर गम भूल जाओगि तुम

सितारे गवाह है, होंगी फिर रूमानी मुलाकातें

पहले नजर के प्यार को हम क्यों माने
ये नजर अक्सर खा जाती है धोका
उनसे नजर जो मिली भिगी सी रात मे

दिल को गुम होने से पर नज़रोंने ना रोका

कातिल है जो उनकी निगाहें
कत्ल करना उनका पेशा है
कभी हमें भी मार डालो जाना
ये बन्दा हाजिर हमेशा है

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