Thursday, July 12, 2007
रिश्ते…b
Sunday, September 24, 2006
ठंडी आवाज मे बोले, चल बहुत रह लिया अपनो मे
पाया क्या है तूने यहॉ, जो खो जाएगा
जागेगा ना कोई तेरी याद मे, सारा जहां सो जाएगा
ना था तेरा कोई, ना तू किसिका अपना था
समझ बैठा जिसे तू सच, वो तो खैर एक सपना था
यहॉ तो सब कुछ दिखावा होता है
बांटता है ना कोई दुख, ना कोई किसि के लिये रोता है
अपने हो जाते है पराए एक पल में
आज तू हक़िक़त है, समा जाएगा तेरा नाम भी कल मे
ना रहेगा निशान, जहां तू कभी मौजूद था
मानो जैसे तेरी ना कोई हस्ती थी, ना ही कोई वजूद था
अब तेरी कोई वजह नही यहां रहने की
चल छोड सब को, तेरी सरहद आ गई गम सहने की
जब होता हूं तेरी बज्म मे
समाया है बस तू ही तू
मेरे हर शेर हर नज्म मे
बज्म (Bajm): Company
ये हम से और नही रोके जाते
समाने दो इन्हें अपनी आहोश मे
आवारा पैर और नही देखे जाते
जमाने का कोई होश नही
ना समझो मुझे तुम दीवाना
इतना भी मै मदहोश नही
चला तेरा जादू कुछ ऐसा
धडकन मेरी खामोश नही
नजरें बन गई अब तेरी
मुझमें इनका आघोश नही
Monday, September 18, 2006
हर पल यों गुजर रहा है
‘मरने से पहले तू जी ले’
किसने ये क्या खूब कहा है
हंसीन लम्हें है कुछ थोडे
कितना दुख तूने सहा है
साथ चलेंगे साथ रहेंगे
मै वही हूं तू जहां जहां है
कोई चाहेगा क्या किस को
जितना मैने तुम्हें चाहा है
दयार जो मिरा का मंदिर मे
तेरी जगह दिल मे वहां है
[दयार (Dayar): Place]
Thursday, September 14, 2006
जिस्म मे मेरे कोई जोश नही
तरसाते हो तुम तनहाई मे
और कहते हो ‘मेरा कोई दोष नही’
एक अंजाना सा आघोश कही
तो हलका सा सरगोश कही
सुनाई आती है आवाज तेरी
चुप रहो या रहो दूर खामोश कही
जमाने का मुझ पे रोष सही
पहचान मेरी फरामोश सही
हो जिम्मेदार तुम ही मेरे
खुद को मान लो चाहे निर्दोश सही
Sargosh (सरगोश): whisper
Zimmedaar (जिम्मेदार): Responsible
मंजर मेरे शबाब के
चुनता हूं मै बागों से
रंग नन्हें गुलाब के
चलता हूं मै दिन भर
नशे मे उस शराब के
सोता हूं मै रातों को
आस मे एक ख्वाब के
Manzar: Aspect
Shabaab: Youthfulness
समंदर की लहरों सा महसूस करता हूं
छुई मुई सी है मानो वह मेरी जानम
एक छुवन से उसके मुरझाने से डरता हूं
फिर चलेगी वही मस्ती
फिर मुस्कुराएगा हर कोई
फिर हँसेंगी हस्ती हस्ती
फिर निकलेंगे गम दिलों से
फिर होगी खुशियॉ सस्ती
फिर मिलेंगे यार पुराने
फिर खिलेगी बस्ती बस्ती
Friday, August 25, 2006
हर वो दिल जीत के जाउंगा
फिर लेगी सांस हर कली
जब जिन्दगी साथ मै लाउंगा
फिर बिखरेंगे वो पत्ते पत्ते
तूफान से तेज़ मै आउंगा
देना प्यार मुझे तुम इतना
चाह के भी लौट ना पाउंगा
अपने ही खयालों मे मै खोता था
रातें महकने लगी भिनी भिनी
जब से तुने मेरी निन्दे छिनी
अब रात रात भर मै जागता हूं
सपनो के पीछे भागता हूं
बिना तेरे जिन्दगी अधुरी सी है
दरमियां अपने एक दूरी सी है
तुझसे मिलने की तमन्ना है
तू ही मेरा हीरा तू ही पन्ना है
लगी है तेरे मिलन कि आस
कब बुझेगी जन्मों की ये प्यास
अब तो मेरी नैया पार लगा दे
मेरी किस्मत तू ही जगा दे
तेरे सिवा और कौन है मेरा
तू ही मेरी शाम तू ही सवेरा
तेरे लिये अब है जिना मेरा
तेरे याद मै है जाम पीना मेरा
तू ही तू मेरे दिल मे बसी है
मेरी जान बस तुझमे फँसी है
कहेगा जमाना दास्तां मेरे प्यार की
हुस्न के बोझ मे कुचले एक यार की
आज हम से हर रूख मोड दिया
खुल के बातें करना तो दूर
गली मे हमारे आना भी छोड दिया
वादा करके तोड देना उनकी हो गई है आदत
ना जाने क्या है हालत और कैसी है शिद्दत
कर रहे है गुजारिश और हो रही है इबादत
मॉगता हूं बस तुम्हें जब हो कोई शहादत
शिद्दत:Circumstances, particulars
इबादत: worship
शहादत: a shooting or falling star
बुझ ना जाए समय के साथ ये शोला
अपने सांसो से ये आग जलाए रखना
इश्क़ तुम से है कितना आज है बताना
अपने दर पे यों नज़रें लगाए रखना
हम से ना यों मुंह मोड लो
ना टुटे जो रिश्ता कभी
ऐसा कोई बंधन जोड लो
सह लिया खूब आवारापन
प्यार का दामन अब ओढ लो
जमाने को ठुकरा दो और
सारे दस्तूर आज तोड लो
भुला ना पाओगी मेरा साथ तुम चाहे जितना
आउंगा याद तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे उतना
शायद बिछड के चाहत और वासिक़ होती है
यकीन ना आए तो कर के देख ये भी फितना
मशहूर ना हो पाए पर हो गए बदनाम
बहने लगा है लहू अब तो दिल से मेरे
बहता रहे तेरी याद मे ये उम्र तमाम
धडकन थम जाए, चाहे होंठ हो बेजबान
दिल्लगी रहेगी शदब, इश्क़ रहेगा नौजवान
दुनिया की किसे फिक्र, जब तु है मेहरबान
शदब: fresh
जब तेरे पहलू मे मेरा सर होगा
तेरी ईनायतें है ना जाने कितनी
अब की बार ये हिसाब बराबर होगा
चौदहवी की रात जब होगी नसीब
सितारों की रोशनी का असर होगा
लगोगी हद से ज्यादा खूबसुरत
पकडे जाने का जब एक डर होगा
महलों की शान नसिब मे ना सही
सपनो से सजा सलोना घर होगा
हर दिवार कहेगी दास्तान हमारी
प्यार का गवाह हर पथ्थर होगा
Saturday, August 05, 2006
“I always like to walk in the rain as no one can see me crying”
देख ना ले कोई मेरे बहते आँसू
ये सोच बरसात मे चलता हूं मै
गरमी भर बैठा हूं अपने भीतर
कोयले से कै ज्यादा जलता हूं मै
देखे है जो गम के मौसम इतने
छोटी सी खुशी से मचलता हूं मै
होता था जो कभी चटटान सा ठोस
आज हलकी आंच से पिघलता हूं मै
बनना चाहता था किसिका सहारा
जैसे तैसे आज सम्भलता हूं मै
चांद हँसता है मेरे सर्द चेहरे पे
सूरज से पहले अब ढलता हूं मै
और सताने की आशा करते थे तुम
मसरूफ होते थे मेरे कहानियों मे
मेरी हर बात पे हँसा करते थे तुम
भिगे लब मेरे सबूत है इस बात के
कभी प्यासा भी हुआ करते थे तुम
मेरी हर आह और सिसकी गवाह है
ये बदन तराशा भी करते थे तुम
मसरूफ (Masaruuf) = Get involved in
ले लो हमें अपनी बाहों मे
आना है इस अन्धेरे से बहार
भटके है जो अंजान राहों मे
देखली ये दुनिया जी भर के
समाने दो गहरी निगाहों मे
थक गया हूं तपती धूप मे
सो जाने दो अपनी पनाहों मे
यहां सच्चाई का पता नही चलता है
मुश्किल है तेरा मिलना उस दुनिया मे
इस कडवे हक़िकत से दिल जलता है
जन्नत सी खुशियॉ है नसिब यहां
प्यार यहां दिन रात ऐसे बरसता है
दुश्मन न है कोई किसी का यहां
ना कोई है प्यासा ना कोई तरसता है
Monday, July 31, 2006
आज फिर हमें उन्होनें ललकारा है
आजमाना है हमें तो आ जाओ करीब
दिल से आज हम ने दिल को पुकारा है
जख्म जो दिया तुम ने ताजा है अभी
हम ने खरोंचो से रखा इसे हरा है
इतना गहरा हुआ असर नाजुक दिल पे
चाह के भी घाव मेरा नही भरा है
देखते है उन्हें हम उस ऐतबार से
आसमां मे जैसे बस एक ही सितारा है
बसा करती थी वो कभी जन्नत मे
मेरे लिये ही उसे मिट्टी पे उतारा है
उन्हें ये जा के बताएं कोई
ख्वाब मे सताते है जो हमें
जा के उन्हें भी सताए कोई
शर्मिंदा हुए हम काफी
दोस्तों मे अब पछताए कोई
हाल-ए-दिल जताया खूब
इश्क़ हमसे अब जताए कोई
हारे है बाजी आज तक
करम से अपने जिताए कोई
अकेले जिन्दगी जी रहे है
साथ मेरे वक़्त बिताए कोई
उनका नाम लेते डरते थे
नाम से हमारे कतराए कोई
ठोकर खाई है दर दर की
हमारा भी दर खटखटाए कोई
तकलिफ दी है दुनिया ने
दर्द ये मेरा घटाए कोई
तडपा हूं एक साथी के लिये
मेरे लिये अब झटपटाए कोई
खुशी के लम्हें थोडे है
वो चुनिंदा पल लुटाए कोई
देख ली रंगीन शामें खूब
अब ले आए काली घटा कोई
जिन शाखों पर फूल खिलते थे
उन डंगालो को किसने काटा है
दुनिया मे मचा है इतना शोर
दिल मे मेरे ये कितना सन्नाटा है
कभी दो जिस्म मगर एक जान थे
जालिम दुनिया ने हमें बांटा है
बताना चाहता हूं उन सब को
बुराई का कद सच्चाई से नाटा है
Thursday, July 27, 2006
याद रहेगी फिर मुलाकात हर
हिम्मत दिखाने का वक़्त है
होगा दिल से ये बरबाद डर
कर लो कोशिश इसे दबाने की
आएँगे और ये जसबात उभर
कर दिया है खुद को तेरे नाम
अब तू ही मुझे आबाद कर
दिल मे दर्द ना दबाएँ रख
यहॉ आ और मूझसे बात कर
सूजी आंखें कह रही है तेरी
तू भी जागी है कल रात भर
सांसों से अपने और कितना धोका करे हम
दिल से तो तेरी यादों को निकाल लेंगे
इन धडकनों को मगर कैसे रोका करे हम
मिल भी जाओ जाना कभी हक़िक़त मे
कब तक यों ख्वाबों मे तुम्हें देखा करे हम
तरस गये है जो बाहों की गरमाहट को
कब तक दिल को चिंगारी से सेका करे हम
जिंदगी बीन तेरे क्या है, दिल जानता है
नजरों के ये तीर अब किस पे फेका करे हम
याद करते हो तुम भी हमें अकेले मे
भरे महफिल मे और कितना छींका करे हम
छींकना: sneeze (physically) याद करना (logically)
आएँगा लौट के दीवाना तेरे ही पहलू मे
चुका नही पाऊंगा एहसान तेरे इनायतों का
चाहे कितने ही दर्द क्यों ना सहलू मै
दिया है जमाने ने जो दाग बेखुदी का
तुम ही बताओ कैसे उसे धो डालु मै
बीन पिये झूमने की आदत सी हो गई है
नशे मे फिर कैसे खुद को सँभालूँ मै
हमें भी शायद मौत का फर्मान सुनवा दिया जाएगा
मर ही जाएगा हर सलिम किसी विरान गलियों मे
जब भी किसी अनारकली को जिन्दा चुनवा दिया जाएगा
Monday, July 24, 2006
बस वही समझ सकता है आंखों की बातों को
हमदर्द बन सकता है जमाने मे बस वह ही
करवट बदल बदल कर जागा हो जो रातों को
दिल ही दिल अपनाया है तुम्हें जिस काफिर ने
तुम भी समझ कर देखो उसके जसबातों को
कर भी दो पुरी आखिरी तमन्ना आशिक़ की
रोक लेंगे खुदा कसम उन हँसी मुलाकातों को
तनहाई रिश्तों को बना देती है गहरा
झिनत भले इंसान को बना देती है आशीक़
चाहत बना देती है जिंदगी को सुनहरा
वासिक़ : Strong झिनत: love
Thursday, July 20, 2006
लगता है गुजर गये कितने जमानें
दिल वही सुकून पाने के लिये फिर
तलाशता रहता है कैसे कैसे बहाने
मिलते हो जो रात की तनहाई मे
खुश हो के दिल लगता है इतरानें
अब आबाद करो या करो बरबाद
रख दिया खुद को रुख-ए-निशाने
मान भी लो बात अपने दिल की
ना जाओ इन शोलों को सुलगानें
जल जाओगे तडप की इस आग मे
देखना ना आएगा कोई फिर बचाने
रास्ते भी आज कल टकरातें है
हम पडे रहते है यों ही घायल
हाय ! क्या अदा से वो शर्माते है
Wednesday, July 19, 2006
तारे भी मेरे साथ जगने लगे है
कैसी मस्ती है छाई दिल-ओ-जान पे
प्यार के शोले यों सुलगने लगे है
सीख ही लिया जीना बिना किसी हमसफर के
नये अझमत से चल रहे है अब उन गलियों मे
जिन मे कभी घुमा करते थे हम डर डर के
Monday, July 17, 2006
इन धडकनों से मजबूर हो गये
निन्दें हमारी हो गई दुशवार
तेरे खयालो मे चूर हो गये
साथ जो मिल गया तुम्हारा
सारे गमों से हम दूर हो गये
तेरे चर्चे तो लाखों मे थे ही
हम भी अब मशहूर हो गये
सुनहरे रात मे जागता और भरे दिन मे ये सोता है क्या ?
तनहाई मे आह भरता है और महफिल मे खोता है क्या ?
ये प्यार ही है जानम, अब आगे आगे देखो होता है क्या !
Saturday, July 15, 2006
नया है ये जसबा और नयी है ये डगर
किस अनजाने मोड पे मिल जाए कोई
किसी को क्या पता, किसी को क्या खबर
दिमाग को फिर शायद पछताना पड़ेंगा
ये तो भाग जाएगा दो नैना मिला के
हाल-ए-दिल जबान को ही जताना पड़ेंगा
मजा आने लगेंगा इतना इस बिमारी मे
पागलपन मे खुद को सताना पड़ेंगा
गर लग जाए बेवफाई का एक दाग
खून के कतरे से उसे हटाना पड़ेंगा
मिले थे हसिन लम्हे जितने मुलाकात के
किश्तों किश्तों मे उन्हें लौटाना पड़ेंगा
लूट जाओगे मुहब्बत के चक्कर मे, फिर
किस्मत के दरवाजों को खटखटाना पड़ेंगा
बुलाया करेंगे कई लोग दीवाना तुम्हें
हर गली से रोज एक नया ताना पड़ेंगा
इतना सताएगा ये जमाना तुम्हें, के
अकेले मे भी फिर झटपटाना पड़ेंगा
आना होगा तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे मेरे
तुम्हारे ही आने से आई है जिन्दगी मे बहार
खोया रहता हूं अब मै बस सवालों मे मेरे
दिल ये चाहे, के सारे दुनिया से दूर जा के
अब जिन्दगी की राहगुजर हो महलों मे तेरे
आखिर क्या है जीना अब समझ मे है आया
जन्नत की खुशियॉ जो है पाई पहलू मे तेरे
Tuesday, July 11, 2006
के, जुर्रत नही ये खता करने की दोबारा
जान ली एक पल मे हम ने हैसियत अपनी
लगा सदमा दिल को कुछ ऐसा करारा
जन्नत की खुशियॉ तो नही मांगी थी
मांगा था हम ने बस एक साथ तुम्हारा
अपने ही मुकद्दर को कोस रहे है अब
बिना लकीरों के बन गया नसीब हमारा
लढते थे नैन जिससे कभी महफिल मे
तरस गये है पाने को उसका एक इशारा
पिलाया था कभी जिसने जाम अपनी आखों से
उस जालिम ने ही आज ये नशा है उतारा
बैठे रहे उसकी याद मे एक आस लिये
ना आए पास हमारे, ना ही हमे पुकारा
हालत बना गए कुछ ऐसी इस आशिक की
कहने लगी है दुनिया इसे अब बेचारा
हुआ करती थी कभी रातें जिसकी जवां
आज फैला है दिन मे भी कैसा अंधियारा
चलते थे जो कभी हमराह बनके हम
आज मिलता हुं मै उन गलियों मे मारा मारा
आज कल करते वो बाते खुद-खुशी करने की
लाख उठाए सवाल ये दुनिया हमारे रिश्ते पे
साथ होगे हम मगर, बात नही ये डरने की
वक़्त आ गया है अब कुछ कर दिखाने का
घडी नहि है ये जानम ठंडी आहें भरने की
होगा ना मुझसे बुरा कोई, समझ लो आज
फिर सुनी बात अगर मारने और मरने की
हम ही से घबराना, हम ही से शिकायत
ये सब है निशानियाँ प्यार के इकरार की
आप ही का शुक्रिया, आप ही की इनायत
हम ही से ईतराना, हम ही से दिल्लगी
हम ही से बिछडना, हम ही से हिदायत
सम्भाल सको तो कोशिश कर के देख लो
प्यार ही है ईबादत, प्यार ही है निहायत
इन्तजार का हर लम्हा जब मजेदार होता है
दिल तो वैसे भी धडकता है जीने के खातिर
मरने को जब वो तडपे, तब ही प्यार होता है
सामना करो तुम हकिकत से
आज मे जीना सीख लो यार
ख्वाब देखना कभी फुरसत से
डूबते माज़ी को तिनके के सहारे बुलाया उसने
हम तो कब के भूल गये थे उनके घर का पता
हमारे ही गली मे आ के हमें फिर रुलाया उसने
लहू लोहान करने के इरादे था तीर चलाया उसने
अपने हुस्न का जहर मेरे ज़िस्म मे फैलाया उसने
छोड चुके थे उम्मीद उनको हमसफर बनाने की
बेवफाई का इलज़ाम दे के कब्र मे है सुलाया उसने
बंजर गुलिस्तां मे एहसास का बीज बोया उसने
परवरिश से एक बाग़बान का फ़र्ज़ निभाया उसने
हम तरसते रहे उनका एक करम पाने के इरादे
पहले मुलाकात मे ही कर दिया हमें पराया उसने
दूर से ही देख के अंजाने मे हमें अपनाया उसने
हुस्न के शोले से सख्त बरफ को पिघलाया उसने
हम खोए ही रह गये दिन रात उनके खयालों मे
जाने किस घडी मे हम से उठा लिया साया उसने
सोए अरमानों को एक ही इशारे से जगाया उसने
गर्द पडे रूह को चाहत के दीदार मे नहलाया उसने
फिर जरूर बरसेगा वो प्यार, फिर आएगी वो बहार
यहीं कहके फिर आज मेरे दिल को मनाया उसने
सुलझे हुए शक्स को जाल मे अपने उलझाया उसने
जाम पिला पिला के है बेहोशी तक बहकाया उसने
जो डूब गया था कभी उनकी बाहों की आहोश मे
एक बून्द पानी के लिये है आज उसे तरसाया उसने
मेरे खामोश चलती जिन्दगी मे तूफान लाया उसने
ना जाने जन्नत के किस खुशी को है पाया उसने
हम ने तो जीना सीख लिया अब अपनी तनहाई मे
नही जानती वो मगर, आज किसे है खोया उसने
Wednesday, July 05, 2006
दिन भी तेरी उम्मीद मे गुजर जाने को तैयार है
ऐसी प्यास लगी है जालिम, दिल मे तेरे चाहत की
मिटेगी तेरे आने से, जो बरसात को भी दुशवार है
तनहाई मे हर शक्स, लेकिन आज यहां बेजार है
मिलता नही है मुकम्मल हमसफर सभी को यहां
बस कहने के लिये ही ये दिलवालों का बाजार है
हँसी पे मत जाओ, मेरे घावों मे अब भी उभार है
ये हंसना तो बस, दर्द छिपाने का एक औजार है
दफन हो जाउंगा यों ही एक दिन, तो लोग कहेंगे
देख लो, एक और मस्तानें आशिक़ ये माजार है
Monday, July 03, 2006
इश्क़ ये मेरा फिर भी जिन्दा है-- प्यार की शाखें बाकी है थोडी
दिल मे उनके, घर बसाने का--सपना दिल ने पाला था कभी
आस लगाए बैठे है अब भी--उम्मीद ये हम ने नही है छोडी
पहले नजर का प्यार भुला के--भूल गई जालिम वो सीना-जोरी
साथ पे जिन के नाज़ था हमें--गांठ बन्धन की वही है तोडी
दिल ये अब उदास सा रहता है--रह रह के दुख ये सहता है
चलते थे जो कभी हाथ पकड--राह उन्होनें आज अपनी है मोडी
उन्हें देखने का हमें कोई शौक नही
फूलों की खुशबू नही हम मे, मगर
Friday, June 30, 2006
आज कल बदलने लगे है उनके तेवर
बेशर्म हो के मिलते है वो दुश्मनों से
कबूल किया जो आप ने नजरना हमारा
बनाया है आशिक़ तुम ने, कहना है सब का
Thursday, June 29, 2006
दामन जो छुपा रहे हो, लगा है कहीं कोई दाग
अब तो बढ चुका है ये दर्द-ए-दिल हद से आगे
Tuesday, June 27, 2006
तुम दिल के पास हो, फिर भी कितनी दूरी है
समझौता ही है ये, सच्चाई से दूर भागना नही
जान लो बस इतना, जिन्दगी तुम बीन अधूरी है
जानता हूं पर मानता नही, आदत ये बडी बुरी है
मेरा नशे मे रहना, गम भुलाने के लिये जरूरी है
कयामत से पहले ना सही, जन्नत मे मिलेंगे जरूर
इमान ना समझो इसे यारो, ये हमारी मगरूरी है
Friday, June 23, 2006
पी मगर ऐसी जगह जहां ना हो कोई शोर
यहॉ खुशी मे तो पी लेते है सभी, मगर
मर भी ना पाए, सँभल भी ना पाए हम
शुक्रिया अदा करे कब उस बनाने वाले का
Thursday, June 22, 2006
सांसों मे मची है हलचल, मचा है नया शोर
खुद को तो रोक लूँ धडकनों को कैसे रोकू मगर
Wednesday, June 21, 2006
धडकनों की आहट भी करती है तुमको सलाम
सीने मे चलती सांस लेती है बस तुम्हारा ही नाम
एक ही चाहत है अब
Tuesday, June 20, 2006
पैरों के नीचे पनघट यों चलती रहे
सांस लेती रहे भिनी खुशबू बांहों मे
या फिर छुपा रही हो मुझसे कोई गम
अगर कहती हो कही कोई बात नही, तो
सितारे जब होते थे पहलू मे खामोश रात के
कहा करती थी दिल लगाना तुम्हारा काम नही
कत्ल कर चली गई उसकी एक अंगडाई
इतना ना प्यार करो कहता था उसे
हम वो है जो यारी दोस्ती भुलाते नही
आपकी शरारतों से मजा आता है जरूर
क्या जानु मै, ये जागा है या सो गया है
है ये अपनी ही जगह, या कही खो गया है
तूफानों से नही होती गुजारीश
हर कदम पे रास्ता रोकेगा ये
ज़हन मे जो उनकी याद आई
आती थी ख्वाबो मे रोज कभी
धडकनो मे दर्द है कितना, महसूस कर के देखलो
चाहतो मे दम है कितना, कभी दिल लगा कर के देखलो
सुखा पडा है सीने मे कितना, भीगे बदन से देखलो
मिलने मे आखिर क्या मजा है, कभी बिछड के देखलो
हक़िकत मे कुछ नही है ज़ानम, सपने सजा के देखलो
यादों मे सुरूर है कितना, कभी याद कर के देखलो
उनके सुलझे लटों को उलझाना चाहता हूं
आंचल सीने से ढलने की तमन्ना है बस
दीवानों की भिड मे गुम होने वालों मे से हम नही
थाम लेगा हाथ जरूर कोई राह चलता मुसाफिर
याद आते होंगे तुमको हम दिन के उजालों मे भी
भूला ना पाओगी जिन्दगी के वो मुकम्मल लम्हें
हमें उन्होनें जाम पिला पिला के मारा
हम गये थे जीतने की तमन्ना लिये
गर दिखाई देते खुली आंखों के सपने, नजारें ना देखता कोई
महसूस होती गर सासों की सिलवटें, मलमल ना जानता कोई
ना होते गर तुम साथ हमारे,
जमानें गुजर जाएगे, मगर मुहब्बत ये जवान रहेंगी
दिल मे जतन किये रखे है इस अनमोल रतन की चमक
कारवाँ ये यों ही चलता रहेगा
उभर आना है तुम्हें हर मुकाम पे
मेरे बीन तू अकेली है, तू हां कहे या ना कहे
दुनिया से सही मगर खुद से क्या झूठ कहना
नाकामयाबी मे भी पर शरीक हम होंगे
सम्भाले रखना हमारे दोस्ती का नजराना
इन कातिल निगाहों से हमें खतरा लगता है
रात - दिन कैसे गुजरते है पता नही चलता
बातें करता है जो ऐसी, वही प्यार को खोता है
करना है प्यार तो उम्मीद के साथ करो यारो
जो दिल धडका फिर तेरी याद आई
आंखों ने महसूस किया उस हवा को
दोस्त हमारे इस हालत पे हंसने लगे है
ऐसी छाइ खुमारी नाचीज की इस दिल पे
कोई पागल कहे तो कोई दीवाना कहे
कोई इलाज नही इस बीमारी का दुनिया मे
आंखें रहती है नम आज कल कुछ ज्यादा
आस लगाए बैठे है ईस उम्मीद मे, के
क्या वो सुन पाएगी दिल से निकली हुई सदा
अगर निभाना चाहता है दोस्ती ऐ मेरे दोस्त
उन्हें क्या पता हम यहा जित-ए-जी मर रहे है
खत्म हो जाए ये लम्बा सफ़र इस परदेस मे जल्दी
शाम को घर जाके आइना देखुं तो लगता है
इस अनजान से शहर मे
पास आके हमारे उनका बदन हिल जाता है
कोई उन्हें ये बताए के दूर ना जाए हमसे
गहराई उनके आंखों की बादलों मे कहा
देखो यारों उनको कभी मेरी नजर से
मेरे उजडे गुलिस्तां मे महक सी छा जाए
कोई उनको बताए, वो हमारे लिये क्या है
एक पल का पागलपन, एक पल की दीवानगी
ये बस काम है उन जिन्दा मुर्दो का
हालत कुछ यों थे के हम प्यार कर बैठे
तुम्हारा आना ज़िंदगी मे एक तूफान था
इतना मचलने दोगे उसे तो मुश्किल मे आओगे
वह तो एक मतवाली और चंचल हंसीना है
क्या ये नशा इस मतभरे जाम क है,
दिल कहता है सम्भल जा ऐ दीवाने
उम्मीद है तुम तो साथ निभाओगी
निकलेगी इस दिल से जबभी कोई आह
धडकनो पे भी लग गया है ताला
दबाए रखा था जो दर्द ईस दिल मे
के अब खुद पे आने लगा है तरस
बूंद बूंद को ना तरसा मुझको साजन
Sunday, June 18, 2006
जो भले भलों के उडा सकती है होश
हमें कोई शिकवा नही तुम्हारे इरादों पे
की हमें हिचकियां आना बन्द हो जाए
याद हमे थोडा दिल से किया करो
ख्वाबो मे आपका आना ये क्या कम है
छोटी छोटी बातों से क्या रूठना यारो
देखा ना करो ऐसे, दर्द सा लगता है
सुनाया ना करो अपनी मतभरी आवाज
चेहरा तुम्हारा आंखों मे छुपा के लाया हूं
तुम मेरी हो, तुम्हें बस ये बता नही पाया हूं
आपको एक शक्स जरूर दिल से याद आएगा
भूल जाओगे तुम जमाने के दिये सारे गम
हमारे पास खुद आ बैठी है जन्नत
खुदा दिलदार है कितना, चला है पता आज
जिन्हे हादसा समझ कर चहता है भुलाना
गुजारीश है उस जालिम से तह-ए-दिल से
खुशियॉ के पल दबोचने लगे है
अपनोसे जरा हम बचने लगे है
जबसे कर बैठे है हम इजहार-ए-दिल
ऐ जालिम दिन मे मुश्किल है मिलना
वो तो परछाई होती है किसी शक्स की
उसका भी अपना एक कीरदार होता है, पर
ना जाने छा गई दिलपे, कैसी जादूगरी
रहती है वो सेहमी सी, और कुछ डरी
हम सांस भी नही लेते, और मरते भी नही
बदनाम हो गए है उनके प्यार मे इतने, के
तो कोई कहे, ये आग का दरिया है
हम कहते है, जन्नत ही जन्नत है
वो परी परदे से निकल सामने आई है
अब मत हिचकिचाओ नजर मिलाने से
सांसों की गहराइ मे खुद को भूल चाहता हूं
आंखों की सच्चाई मे, पापो से धूल जाना चाहता हूं
क्या जाने चलता रहता है इस दिल-ओ-दिमाग मे किस का खयाल
बदलते है करवटे बिस्तर पे पडे पडे तेरी याद मे, की
बेगुनाह खुदको कह नही सकता
दिया है दिल का ऐसा हँसी दर्द तुमने
उनकी एक झलक की तमन्ना मे, दिदार के ख्वाब चूम रहे है
नही पता था हमें, जुदाइ के बाद आएगी जालिम की इतनी याद
मुकद्दर से ही लढी थी आंखें दो अनजान
मुकद्दर ही मिलाएगा फिर दो दिलों को
फिलहाल दिल भी घुट घुट के रो रहा है
तडप इस दिल की तुमसे बेहतर कौन जाने
हम तो सारी जिन्दगी साथ निभाना सोच रहे थे
लगेंगा तुम को भी कुछ ऐसा, याद करोगे जब
और किसी पे मर मिटने वाले तुम न थे
आदत सी पड जाएगी तुम्हें याद करने की
जब बिना उम्मीद आता है उनका होई पैगाम
मिलते नही वो, तो याद ही कर लेते है
जरूर छुपा रही हो, दिल मे कोइ दर्द
बताओगी तो, होग कुछ कम एहसास
किया प्यार तुमने मुझे और मैने तुम्हे रात दिन
शायद भुल जाओगी तुम जिन्दगी की बाकी सारी रातें
जो हाल-ए-दिल लब्जों मे बयान करते है
लिख लेते है हम कुछ, जज़बात मे बेहके
इसे सम्भाल के रखना ऐ मेरे हुजूर
चाहेंगे तुम्हें इस कदर जान-ए-जाना
प्यार करो तो ऐसे करो, की यार जताने पे मजबूर हो जाए
लिखो तो ऐसे लिखो, हर शब्द गाने पे मजबूर हो जाए
होता नही दिन, बिना तेरे खयाल के, इस दीवाने का
अब जीना मरना मेरा, बस तेरे खातिर है, क्यूंकी
सोचता हु, हाल-ए-दिल ही बयान कर दिया जाए
है खूबसूरत, जो बस गई है दिल की डोली मे
रात रात जाग किसिका इन्तजार करे वो दीवाना नही होता
इस जहां मे इन्सानियत के और भी कइ उसूल है, मगर
हम रिश्तों को भुलाने वालों मे से नही
हमारे प्यार का दामन छुडा ना पाओगे
उनकी याद में आज कल तबीयत कुछ नम है
भुलाना उनको मुश्किल ही नही नामुमकिन है
मुहब्बत के मचधार मे पुराने साहिल भूल जाते है
हम मगर याद रखेंगे हर वो मदहोशी भरी रातें
और आती है उनकी याद रात कि तनहाइयों में
आंखें बन्द कर देख लेता हूं वो हसीन चेहरा
टिमटिमाते तारे और चमकते मोतियों से पुछलो
एक हि जवाब मिलेगा जब चलेगी बात उस दिलबर की
गुलाबों की लाली है होंठों मे मेरे यार की
जुगनू की चमक है आंखों मे मेरे यार की
कस्तूरी की महक है बांहों मे मेरे यार की
रेशम की कोमलता है बालों मे मेरे यार की
अब्र की मलमलता है गालों मे मेरे यार की
कोयल की मिठास है बातों मे मेरे यार की
प्यार करना है तो करो जरा इमान से
जमाने को दिखाके क्या खाक करोगे
लेहरो को चीर कर मन्ज़िल के तरफ़ बढना जानता हू
बेहती हवाओ की खुशबू भी देगी गवाही इस बात की
जिसे दिल ढुंड राहा है क्या जाने वो काहा होगा
मेरे चेहरे की मुस्कुराहट पे मत जाओ यारो
पर कभी मेरी याद आये तो रोना नही
लम्हे तो खैर आते और जाते रहेंगे
और देखली दुनिया की दुनीयादारी
उतर गया नशा गलत वहमी का
उड गयी एक पल मे सारी खुमारी
दुनिया की इस भरी महफ़िल मे
सोचते थे अकेले तो नही है हम
पता चला बस एक वही है हमसफ़र
जिसे केहता हु मै “मेरि शायरी”
रोज लिखते हो आज कया हो गया, न कोइ नज़्म न कोइ साज़
मै बोला, दिल मे मेरे अब न कोइ तडप, न जलन, न कोइ राज
जुदा हुए वो
जिनके लिये होते थे कागज़ निले, प्यार पे जिनके था हमे नाज
साकी के होंठों की मिठास उसमे मिलती है
अकेले जलना भी क्या जलना, मज़ा तो तब है
जब शम्मा भी परवाने के साथ जलती है
कभी हार कभी जीत इसके दो रंग है
ज़िन्दगी से गीला शिकवा क्या करना
तुझ जैसा दोस्त हर घडी अगर संग है
चान्द सितारो के साथ तुम्हरी बात जरूर होगी
कभी दिल की आवाज से पुकारो तुम किसी दोस्त को
अपने दोस्ती की कसम, फ़िर मुलाकात जरूर होगी
संजोते है वो घड़िया और वो पुरानी बातें
मेरे इन्तजार का हर गम भूल जाओगि तुम
सितारे गवाह है, होंगी फिर रूमानी मुलाकातें
ये नजर अक्सर खा जाती है धोका
उनसे नजर जो मिली भिगी सी रात मे
दिल को गुम होने से पर नज़रोंने ना रोका
कत्ल करना उनका पेशा है
कभी हमें भी मार डालो जाना
ये बन्दा हाजिर हमेशा है
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