Thursday, June 29, 2006
उठा है धुआं जब, लगी है जरूर कहीं तो आग
दामन जो छुपा रहे हो, लगा है कहीं कोई दाग
अब तो बढ चुका है ये दर्द-ए-दिल हद से आगे
दामन जो छुपा रहे हो, लगा है कहीं कोई दाग
अब तो बढ चुका है ये दर्द-ए-दिल हद से आगे
तडप ही है किस्मत शायद, तडपना ही है भाग
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