Tuesday, June 20, 2006
आंखों मे लगे काजल को फैलना चाहता हूं
उनके सुलझे लटों को उलझाना चाहता हूं
आंचल सीने से ढलने की तमन्ना है बस
उनके सुलझे लटों को उलझाना चाहता हूं
आंचल सीने से ढलने की तमन्ना है बस
दिल मे लगी आग सांसों से बुझाना चाहता हूं
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