Friday, August 25, 2006

भुला ना पाओगी मेरा साथ तुम चाहे जितना
आउंगा याद तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे उतना
शायद बिछड के चाहत और वासिक़ होती है
यकीन ना आए तो कर के देख ये भी फितना


Comments:

शायद बिछड के चाहत और वासिक़ होती है

बहुत खूब सही लिखा हे जनाब
 
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