Friday, August 25, 2006

चैन की निन्द मै सोता था
अपने ही खयालों मे मै खोता था
रातें महकने लगी भिनी भिनी
जब से तुने मेरी निन्दे छिनी
अब रात रात भर मै जागता हूं
सपनो के पीछे भागता हूं
बिना तेरे जिन्दगी अधुरी सी है
दरमियां अपने एक दूरी सी है
तुझसे मिलने की तमन्ना है
तू ही मेरा हीरा तू ही पन्ना है
लगी है तेरे मिलन कि आस
कब बुझेगी जन्मों की ये प्यास
अब तो मेरी नैया पार लगा दे
मेरी किस्मत तू ही जगा दे
तेरे सिवा और कौन है मेरा
तू ही मेरी शाम तू ही सवेरा
तेरे लिये अब है जिना मेरा
तेरे याद मै है जाम पीना मेरा
तू ही तू मेरे दिल मे बसी है
मेरी जान बस तुझमे फँसी है
कहेगा जमाना दास्तां मेरे प्यार की
हुस्न के बोझ मे कुचले एक यार की

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