Thursday, June 22, 2006

दिल से निकली हर सदा बढ रही है तुम्हारे और
सांसों मे मची है हलचल, मचा है नया शोर
खुद को तो रोक लूँ धडकनों को कैसे रोकू मगर
चाहत है ये कुछ नई, तनहाई का है नया दौर

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