Monday, July 24, 2006
धडकते दिल की जवान रफ्तार जो सुन सके
बस वही समझ सकता है आंखों की बातों को
हमदर्द बन सकता है जमाने मे बस वह ही
करवट बदल बदल कर जागा हो जो रातों को
दिल ही दिल अपनाया है तुम्हें जिस काफिर ने
तुम भी समझ कर देखो उसके जसबातों को
कर भी दो पुरी आखिरी तमन्ना आशिक़ की
रोक लेंगे खुदा कसम उन हँसी मुलाकातों को
बस वही समझ सकता है आंखों की बातों को
हमदर्द बन सकता है जमाने मे बस वह ही
करवट बदल बदल कर जागा हो जो रातों को
दिल ही दिल अपनाया है तुम्हें जिस काफिर ने
तुम भी समझ कर देखो उसके जसबातों को
कर भी दो पुरी आखिरी तमन्ना आशिक़ की
रोक लेंगे खुदा कसम उन हँसी मुलाकातों को
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