Tuesday, June 20, 2006
निगाहों को अपनी पलकों से छिपाएँ रखना
इन कातिल निगाहों से हमें खतरा लगता है
रात - दिन कैसे गुजरते है पता नही चलता
इन कातिल निगाहों से हमें खतरा लगता है
रात - दिन कैसे गुजरते है पता नही चलता
बज़्म मे तेरी कई पल, बस एक कतरा लगता है
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