Wednesday, July 05, 2006

इस दुनिया की भरी महफिल मे, दिलवाले हजार है
तनहाई मे हर शक्स, लेकिन आज यहां बेजार है
मिलता नही है मुकम्मल हमसफर सभी को यहां
बस कहने के लिये ही ये दिलवालों का बाजार है

हँसी पे मत जाओ, मेरे घावों मे अब भी उभार है
ये हंसना तो बस, दर्द छिपाने का एक औजार है
दफन हो जाउंगा यों ही एक दिन, तो लोग कहेंगे
देख लो, एक और मस्तानें आशिक़ ये माजार है

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