Monday, July 31, 2006

जिन शाखों पर फूल खिलते थे
उन डंगालो को किसने काटा है
दुनिया मे मचा है इतना शोर
दिल मे मेरे ये कितना सन्नाटा है

कभी दो जिस्म मगर एक जान थे
जालिम दुनिया ने हमें बांटा है
बताना चाहता हूं उन सब को
बुराई का कद सच्चाई से नाटा है


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