Wednesday, July 19, 2006
होश है संभाला हम ने आज चोट से उभर के
सीख ही लिया जीना बिना किसी हमसफर के
नये अझमत से चल रहे है अब उन गलियों मे
जिन मे कभी घुमा करते थे हम डर डर के
सीख ही लिया जीना बिना किसी हमसफर के
नये अझमत से चल रहे है अब उन गलियों मे
जिन मे कभी घुमा करते थे हम डर डर के
अझमत: Dignity
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