Thursday, July 27, 2006

देख लिया सह के जुदाई का ये आलम
सांसों से अपने और कितना धोका करे हम
दिल से तो तेरी यादों को निकाल लेंगे
इन धडकनों को मगर कैसे रोका करे हम

मिल भी जाओ जाना कभी हक़िक़त मे
कब तक यों ख्वाबों मे तुम्हें देखा करे हम
तरस गये है जो बाहों की गरमाहट को
कब तक दिल को चिंगारी से सेका करे हम

जिंदगी बीन तेरे क्या है, दिल जानता है
नजरों के ये तीर अब किस पे फेका करे हम
याद करते हो तुम भी हमें अकेले मे
भरे महफिल मे और कितना छींका करे हम
छींकना: sneeze (physically) याद करना (logically)

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